Paush month 2022 paush mahina kab se shuru hai when is paush mahina in hindi | पौष मास कल से शुरू, इन बातों का नहीं रखा ध्यान तो हो सकता है नुकसान, जाने शुभ मुहूर्त

पौष मास 2022: हिन्दू पंचाग के अनुसार पौष मास को शास्त्रों में काफी महत्व दिया गया है। पंचाग के अनुसार वर्ष के दसवें महीने को पौष मास कहा जाता है। इस पूजा में सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस पर्व में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

कल से शुरू हो रहा पौष मास, इन बातों का नहीं रखा ध्यान तो हो सकता है नुकसान, जानिए शुभ मुहूर्त

पौष मास कल से शुरू हो रहा है।

पौष मास को हिंदू धर्म में बहुत ही पुण्यदायी माना जाता है। इस वर्ष पौष मास की शुरुआत 09 दिसंबर 2022 से हो रही है जो 07 जनवरी 2023 तक रहेगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष मास मार्गशीर्ष मास की समाप्ति के बाद शुरू होता है। पौष पूजा के दौरान भगवान नारायण और भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्यदेव की उपासना करने से जातक को मनोवांछित सफलता प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस मास को पितरों को मुक्ति दिलाने वाला मास भी कहा जाता है। इसलिए पौष मास में पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि भी आती है। आइए जानते हैं कि इस महीने में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  1. पौष मास में सूर्य उपासना का विशेष महत्व होता है। इसलिए कोशिश करें कि नियमित रूप से सूर्य को जल चढ़ाएं। मान्यता है कि इससे भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। हो सके तो तांबे के बर्तन में जल भरकर सूर्य देव को अर्पित करें।
  2. सूर्य देव के साथ भगवान विष्णु की पूजा का भी महत्व है। ऐसे में पूजा के दौरान नियमित रूप से गीता का पाठ जरूर करें। माना जाता है कि इस महीने में भगवान विष्णु की विशेष कृपा पाने के लिए जितना हो सके लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  3. पौष मास में दान और दक्षिणा देना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसलिए कोशिश करें कि इस महीने में जरूरतमंदों को कंबल, गर्म कपड़े, गुड़, तिल आदि दान करें। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान आदि करना भी शुभ माना जाता है।
  4. कोशिश करें कि इस महीने में मांस और शराब का सेवन न करें। माना जाता है कि इससे सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
  5. इस महीने में व्रत रखना शुभ और फलदायी माना जाता है। कोशिश करें कि व्रत में सिर्फ फल ही खाएं और हो सके तो इस दौरान नमक का सेवन कम कर दें।

(यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और लोक मान्यताओं पर आधारित है, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसे आम जनहित को ध्यान में रखते हुए यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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