बिना किसी स्वार्थ के व्यक्ति द्वारा की गई सेवा धन नहीं, समय पर निर्भर है, सेवा से संबंधित प्रेरक वाक्य पढ़ें।

सेवा पर प्रेरणादायक उद्धरण
किसी भी कमजोर, असहाय और दुखी व्यक्ति की मदद करना या कहें उसकी सेवा करना मानव स्वभाव है। हम सभी कभी न कभी किसी न किसी की सेवा किसी न किसी रूप में करते हैं, लेकिन कई बार लोगों के मन में यह सवाल आता है कि सेवा किसकी और कैसे की जाए। किसी की सेवा करने का असली तरीका क्या है। क्या सेवा करने के लिए पैसा सबसे जरूरी चीज है या यूं कहें कि पैसे से की गई सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है? मानव सेवा को ईश्वर की सेवा क्यों कहा जाता है?
इन सभी प्रश्नों के उत्तर जो हमें सभी संतों और महापुरुषों से मिलते हैं, उनका सार यह निकलता है कि सेवा मनुष्य का मूल स्वभाव है, जो बताता है कि आप अंदर से सुखी, समृद्ध और संतुष्ट हैं। सेवा करने से न केवल भगवान की कृपा बरसती है, बल्कि स्वयं को भी संतुष्टि का परम अनुभव प्राप्त होता है। सेवा के लिए धन आवश्यक हो सकता है, लेकिन सबसे बड़ी आवश्यकता समय और भक्ति की है। सच्ची भावना से की गई सेवा ही सच्ची सेवा है। आइए पढ़ते हैं सेवा से जुड़े 5 प्रेरक वाक्य।
- सेवा मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। सेवा ही उनके जीवन का आधार है। मानवता की सेवा से बढ़कर कोई कार्य नहीं है।
- सेवा हृदय और आत्मा को शुद्ध करती है। सेवा से ज्ञान की प्राप्ति होती है और यही मानव जीवन का वास्तविक लक्ष्य है।
- किसी भी कमजोर, बीमार और दु:खी व्यक्ति की सहायता और सेवा करना ही मनुष्य का परम कर्तव्य है। इसके लिए धन का होना आवश्यक नहीं है बल्कि अपने संकीर्ण जीवन को छोड़कर गरीबों के साथ एक होना है।
- जीवन में सबसे अच्छी सेवा वही कहलाती है, जिसमें आप किसी की मदद तो करें लेकिन बदले में वह आपको धन्यवाद न दे पाए।
- सेवा ही वह सीमेंट है जो दांपत्य जीवन को परस्पर प्रेम और विश्वास के साथ आजीवन जोड़े रख सकती है। जिस पर किसी बड़े आघात का कोई असर नहीं होता है।