इंसान हर घर में पैदा होता है, लेकिन इंसानियत या यूँ कहें इंसानियत किसी न किसी घर में ही पैदा होती है, पढ़िए इंसानियत पर 5 प्रेरक वाक्य।

सफलता के मंत्र1 (1)
इंसानियत या यूँ कहें इंसानियत का रिश्ता इंसानों से होता है। जिसके बिना इंसान के तौर पर उसकी पहचान खत्म हो जाती है। मानवता को सभी धर्मों में श्रेष्ठ बताया गया है। हिन्दू धर्म में मानव सेवा को सच्ची सेवा बताया गया है। सनातन परंपरा के अनुसार मनुष्य 86 लाख जन्मों में जन्म लेने के बाद मानवता के लिए इस धरती पर मानव शरीर पाता है। जीवन में इंसानियत या कहें इंसानियत सिर्फ किसी इंसान के प्रति दया दिखाने से नहीं होती बल्कि हमारा आचरण और व्यवहार भी इंसानियत की श्रेणी में आता है।
यदि हम किसी कमजोर व्यक्ति को सड़क पार करने में मदद करते हैं या किसी प्यासे को पानी पिलाते हैं तो यह भी हमारी मानवता है। भटके हुए को राह दिखाना भी इंसानियत है। मानवता मनुष्य का गुण है, जिसके पास यह नहीं है, वह व्यक्ति मृत शरीर के समान है। उसके मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं है। ईश्वर की पूजा हो या समाज की सेवा, उसका मूल मानवता ही है। आइए पढ़ते हैं इंसानियत से जुड़े 5 प्रेरक वाक्य।
- मनुष्य तभी मनुष्य कहलाता है जब वह अपनी मनुष्यता का परिचय देता है। जिस इंसान में इंसानियत नहीं रहती वो एक लाश की तरह है।
- जीवन में उस व्यक्ति का स्थान हमेशा समाज में ऊंचा होता है, जो हमेशा मानवता की भलाई के लिए अच्छे कर्म करता है।
- वे हाथ जो पृथ्वी पर मानव जाति की सेवा करते हैं, वे उतने ही धन्य हैं जितने कि वे होंठ जो परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं।
- जिस प्रकार महल के ऊँचे शिखर पर बैठने मात्र से कौआ कभी गरुड़ नहीं बन सकता, उसी प्रकार ऊँचे सिंहासन पर बैठकर उसकी मनुष्यता या कहें महानता नहीं मानी जा सकती।
- इंसानियत से कभी भी विश्वास नहीं खोना चाहिए, क्योंकि इंसानियत एक सागर की तरह है और अगर इसमें गंदगी की कुछ बूंदें गिर जाएं तो समुद्र गंदा नहीं होता।
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