
Kunjika Strotam kya hai or iska Mahtav hai ?
सिद्ध कुंजिका (Kunjika Stotram Hindi) स्त्रोत सभी देवी देवताओं के लिए एवं सभी भक्तों के लिए बहुत ही कल्याणकारी स्त्रोत है ।
आज हम आपको सिद्ध कुंजिका स्त्रोत हिंदी में अर्थ सहित बताने जा रहे हैं । कृपया ध्यान पूर्वक इसे पढ़ें व समझे ।
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत को रुद्रा यमल तंत्र के गौरी तंत्र भाग से लिया गया है । सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ पूरी दुर्गा सप्तशती के पूजा पाठ के बराबर है ।
स्त्रोत में कुंजिका का मतलब है चाबी अर्थात हम इससे दुर्गा सप्तशती की शक्ति को जागृत कर सकते हैं जोकि महेश्वर प्रभु शिव के द्वारा गुप्त कर दी गई है ।
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यह स्त्रोत मूल मंत्र नवाक्षरी मंत्र के साथ शुरू होते हैं । (ओम ऐं ह्रीम क्लीम चामुंडायै विच्चे) ।
हमारे महात्माओं द्वारा बताया गया है कि स्त्रोत के पाठ के बाद किसी अन्य जब या पूजा की आवश्यकता नहीं होती है इस स्त्रोत के पाठ मात्र से सभी प्रकार के जाप सिद्ध हो जाते हैं । साथ ही ऐसा भी बताया गया है कि इस कुंजिका स्त्रोत का केवल जाप ही पर्याप्त है स्त्रोत में आए हुए मंत्रों को जानना या उनके अर्थ को समझना जरूरी नहीं है।
आइए हम सब मिलकर इस सिद्ध कुंजिका स्त्रोत (Kunjika Stotram Hindi)के पाठ को हिंदी में अर्थ सहित शुरू करते हैं ।
सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ आ रहे , इस गुप्त नवरात्रों में कर सकते हैं । इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 30 जून 2022 से 8 जुलाई 2022 तक है।
।। शिव उवाच।।. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | Hindi अर्थ सहित ||
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्। येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्। न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्। अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति। मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।.
प्रभु भोले शंकर भोले
हे देवी सुनो मैं उत्तम कुंजिका स्त्रोत का उपदेश करूंगा । यह ऐसा कुंजिका स्त्रोत होगा जिसके प्रभाव से देवी का जाप पाठ व पूजा सफल होती है।स्त्रोत को कवच अर्गला, रहस्य ,सुक्त, ध्यान, न्यास यहां तक कि अर्चन की भी आवश्यकता नहीं है।केवल स्त्रोत के पाठ मात्र से ही दुर्गा सप्तशती के पाठ का फल प्राप्त हो जाता है । यह स्त्रोत अत्यंत गुप्त व देवी देवताओं के लिए दुर्लभ है ।
इसके बाद प्रभु शंकर ने बताया कि हे देवी पार्वती स्व्योनी भांति इस स्त्रोत को प्रयत्नपूर्वक गुप्त रखना चाहिए। क्योंकि यह उत्तम कुंजिका स्त्रोत कि केवल पाठ मात्र से ही मारण, मोहन ,वशीकरण स्तंभन ,और उच्चाटन आदि उद्देश्य को सिद्ध किया जा सकता है ।
।। अथ मंत्र :-।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।” मंत्र में आए बीजों का अर्थ जानना न तो संभव है, और न ही आवश्यक है केवल जाप ही पर्याप्त है ।
।। इति मंत्र:।।
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि। नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे। ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते। चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी। क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी। भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे। अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्। न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
।इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम्।
हे रूद्र रूपिणी तुम्हें नमस्कार है | हे मधु देत्य को मारने वाली देवी तुम्हें नमस्कार है |-हे विनाशिनी देवी आपको नमस्कार है ,महिषासुर का वध करने वाली देवी तुम्हें बारंबार नमस्कार है | शुभ का हनन करने वाली और निशुभ को मारने वाली देवी आपको नमस्कार है |
हे महादेवी मेरे जप को आप जागृत करो और सिद्ध करो |ऐनकार के रूप में सृष्टि रूपीणी ,हीं के समस्त सृष्टी का पालन करने वाली देवी कलीम के रूप में कामरूपिणी तथा अखिल ब्रह्मांड की बीज रूपेणी देवी तुम्हें नमस्कार है | चामुंडा के रूप में तुम चंड विनाशिनी हो और ऐनकार के रूप में वर देने वाली हो | विच्चे रूप में तुम सदा ही अभय देती हो इस प्रकार ( ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ) तुम इस मंत्र का स्वरूप हो।
धां धीं धू के रूप में ध्रुज्ती देवी अथार्त प्रभु शिव की पत्नी हो | वां वीं वूं के रूप में वाणी की वागधीश्वरी देवी हो | क्रां क्रीं क्रूं के रूप में कलिका देवी और शां शीं शूं के रूप में हे देवी आप मेरा कल्याण करो |हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी। भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी हे देवी भवानी आपको मेरा प्रणाम है |अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं हे देवी इन सबको तोड़ो और दीप्त करो |पां पीं पूं के रूप में आप पूर्ण पारवती हो | तथा खां खीं खूं के रूप में आप आकाशचारिणी अतार्थ खेचरी मुद्रा हो | सां सीं सूं के रूप में सर्व रूपिणी देवी इस सप्त्सती मंत्र को सिद्ध करो | इस स्त्रोत का जाप सिधि को जगाने के लिए है, इसलिए इस स्त्रोत को भक्ति हीन व्यक्ति को नहीं देना चाइये | हे देवी पारवती इस मंत्र को गुप्त रखो | इस स्त्रोत के बीना दुर्गा सप्तसती का कोई महत्व नही है | और न हे इसके बिना सिधि प्राप्त होती है |जैसे एक जंगल में रोता हुआ मनुष्य न्रिर्थक होता है , उसी प्रकार इस स्त्रोत के बिना दुर्गा सप्तसती न्रिर्थक है |
|| इस प्रकार श्री रुद्रयामल के गौरी तंत्र में शिव पारवती संवाद में सिद्ध कुंजिका स्त्रोत सम्पूर्ण हुआ ||
Sidha Kunjika Strortam Karne Ke Labh
कुंजिका स्तोत्र में मौजूद बीज मंत्र आपके जीवन को एक नई दिशा देते है |जिससे आप अपने जीवन मे हर क्षेत्र में तरक्की की ओर अग्रसर होते है। आपका स्वास्थ्य, आपका धन, आपके जीवन में समृद्धि और आपके जीवन साथी के साथ अच्छे संबंधों के लिए भी यह स्तोत्र अत्यंत कारगर है। इसके साथ ही साथ यह गृह क्लेश की स्थितियों को भी दूर करता है।
यदि आप नवरात्रि की रात में सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम का जाप करते हैं और विशेष रूप से शत्रुओं से सुरक्षा मांगते हैं, तो शत्रुओं से रक्षा होती है और वे आपको बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे। कोई भी अदालती मामलों में जीत हासिल कर सकता है और अंत में, आप एक ऐसी आभा से सुरक्षित रहेंगे कि कोई भी नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर सकती है।
कभी-कभी और इतने लोगों के साथ ऐसा हो सकता है कि हमारे वातावरण या परिस्थितियों के कारण हम नकारात्मक ऊर्जा से घिर जाते हैं। कुछ लोग लगातार एक्सपोजर के कारण इन ऊर्जाओं को अपने शरीर में अवशोषित कर लेते हैं और इससे मानसिक रूप से परेशान होना, बार-बार थक जाना, मन में नकारात्मक विचार आना आदि जैसी अनावश्यक समस्याएं हो सकती हैं। आप एक ऐसी आभा से सुरक्षित रहेंगे |
आर्थिक बाधाओं को दूर करने के लिए सिद्ध कुंजिका मंत्र का 9 बार पाठ करना चाहिए। साथ ही सफेद तिल को भी आग में जला देना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि यह सरल उपाय व्यक्ति को वित्तीय समस्याओं को बहुत जल्दी हल करने में मदद करता है।
यदि कोई रोग हो तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का 3 पाठ करना चाहिए। साथ ही देवी को नींबू का भोग लगाएं और फिर उसका प्रयोग करें।
यदि किसी का कर्ज लगातार बढ़ रहा है तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का सात बार पाठ करना चाहिए। साथ ही 21 जौ की बलि अग्नि में अर्पित करें।
यश और कीर्ति की प्राप्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पांच बार पाठ करना चाहिए। पाठ के दौरान देवी को अर्पित किया गया लाल फूल पूजा पूर्ण होने के बाद राजकोष में रखें। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के आत्म-सम्मान में वृद्धि होती है।
ज्ञान प्राप्त करने के अर्थ में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पांच बार पाठ करना चाहिए। और एक मुट्ठी अक्षत को अपने साथ लेकर 3 बार अपने पास से निकाल कर किसी किताब में रखने से देवी की कृपा प्राप्त होती है।
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