झूठ के बादल जीवन में सच्चाई के सूरज को कुछ समय के लिए तो छुपा सकते हैं, लेकिन खत्म नहीं कर सकते, पढ़िए सच पर आधारित 5 बड़े प्रेरक वाक्य.

सत्य पर प्रेरक कथन
जीवन में सत्य से बढ़कर जीवन में कोई धर्म नहीं है। सच्चाई से आगे कुछ नहीं। सज्जन व्यक्ति के लिए सत्य ही उसका सनातन धर्म है। सत्य हमेशा अकेला रहता है, जबकि सत्य की तुलना में झूठ को हर चीज का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन अंत में जीत सत्य की ही होती है। ऐसे में जीवन में सत्य के आगे झुकना चाहिए। सत्य का मार्ग बहुत कठिन होता है पर उसमें सुख आता है। आपको प्राय: सभी मंदिरों की दीवारों पर, गुरुजनों के मुख से ऐसी बातें सुनने और जानने को मिल जाती होंगी और यह भी सच है कि सच बोलना अच्छी बात है, लेकिन सच बोलते समय इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। कि सत्य अप्रिय है। या किसी के लिए हानिकारक नहीं होना चाहिए। आइए जानते हैं 5 प्रेरक वाक्य जो जीवन में सच और झूठ के बीच का अंतर बताते हैं।
- सत्य से धर्म की, आचरण से ज्ञान की, स्वच्छता से रूप की और आचरण से कुल की रक्षा होती है।
- जिस प्रकार उस भूमि पर बीज बोना व्यर्थ है, उसी प्रकार सत्य के बिना पूजा, जप और तपस्या भी व्यर्थ है।
- सत्य चाहता है कि सभी को पता चले, लेकिन इसके विपरीत झूठ को हमेशा डर रहता है कि कोई उसे पहचान न ले।
- असत्य बोलने पर बोले गए असत्य को सदैव याद रखना पड़ता है, परन्तु सत्य बोलने वालों को कुछ भी याद नहीं रखना पड़ता।
- सच उस दौलत की तरह होता है, जिसे आप पहले खर्च करते हैं और फिर जीवन भर उसका आनंद लेते हैं, जबकि झूठ एक ऐसा कर्ज है जो आपको क्षणिक सुख देता है, लेकिन आपको कर्ज जीवन भर के लिए चुकाना पड़ता है।
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