Ganesh ji ki Rochak Bate
भगवान शिव और पार्वती के पुत्र Ganesh ji जी बुराइयों और बाधाओं का विनाश करने वाले भगवान हैं। भगवान गणेश जी की पूजा से विद्या ज्ञान बुद्धि और धन की प्राप्ति होती है Ganesh ji जी उन पांच प्रमुख देवताओं ब्रह्मा विष्णु शिव और दुर्गा में से एक है |
जिसकी मूर्ति पूजा पंचायतन पूजा के रूप में होती है शिव पुराण के अनुसार भगवान गणेश जी जी को बनाने के लिए मां पार्वती जी की सहेली जया और विजया ने निर्णय लिया था उन्होंने मां पार्वती जी को सुझाव दिया था कि वह नंदी और शिव भगवान के निर्देशों का पालन करें इसलिए यहां एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो पार्वती जी के आदेशों का पालन करें इसके बाद पार्वती जी ने अपने शरीर के मेल से भगवान Ganesh ji जी को बनाया।
ब्रह्मवर्त पुराण के अनुसार देवी पार्वती ने बच्चे के लिए प्रेणक उपवास रखा था इसका परिणाम शीघ्र आया और भगवान कृष्ण स्वयं बच्चे के वेश में पार्वती के पुत्र बनकर आए
ब्रह्मवर्त पुराण के अनुसार जब सभी था गणेश जी जी को आशीर्वाद दे रहे थे तो शनिदेव जी सिर झुका कर खड़े हुए थे जब मां पार्वती ने इसका कारण पूछा तो शनि देव जी ने उत्तर दिया कि मैंने सीधे गणेश जी जी को देखा तो परिणाम स्वरूप गणेश जी जी का सिर धड़ से अलग हो जाएगा ब्रह्मवर्त पुराण के अनुसार जब शनिदेव ने पार्वती माता के दवाब देने पर सीधे गणेश जी जी को देखा तो Ganesh ji जी का सिर धड़ से अलग हो गया |
तो उसी समय श्री हरि भगवान ने आप अपनी गरुड़ पर उतर दिशा में उड़ान भरी और पुष्पभद्रा नदी की तरफ पहुंचे जहां एक हथिनी अपनी बच्चे से मुंह मोड़कर सो रही थी और तभी उन्होंने बच्चे का सिर धड़ से अलग किया और भगवान गणेश जी जी को नया जीवन प्रदान किया
ब्रह्मवर्त पुराण के अनुसार भगवान शिव शंकर ने एक बार क्रोधित होकर भगवान सूर्यदेव पर त्रिशूल से वार किया इस पर सूर्य के पिता ने नाराज होकर भगवान शिव को श्राप दिया कि उन्हें भी एक दिन अपने पुत्र के शरीर का खंडन देखना होगा
ब्रह्मवर्त पुराण के अनुसार 1 दिन तुलसी देवी गंगा को पार कर रही थी तो उसी समय गणेश जी जी वहां ध्यान कर रहे थे गणेश जी जी को देखकर तुलसी देवी उनकी ओर आकर्षित हुई और तुलसी जी ने भगवान गणेश जी जी के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो गणेश जी जी ने ऐसा करने से इंकार कर दिया इससे नाराज होकर तुलसी ने गणेश जी जी को श्राप दिया कि तुम्हारी शादी जल्दी हो जाएगी और इसके बाद में Ganesh ji जी ने भी तुलसी देवी को भी श्राप दिया कि तुम भी एक पौधा बन जाओगी
शिव पुराण के अनुसार भगवान गणेश जी जी की शादी रिद्धि और सिद्धि के साथ हुई उनके दो पुत्र थे शुभ और लाभ
शिव महापुराण के अनुसार जब शिव भगवान तिरुपुर को नष्ट करने जा रहे थे तभी एक आकाशवाणी हुई कि जब तक गणेश जी की पूजा नहीं करोगे तब तक तिरुपुर को नष्ट नहीं कर सकते तब शिव भगवान ने भद्रकाली को बुलाया और Ganesh ji की पूजा की और उन्होंने कहा कि लड़ाई जीत ली है
ब्रह्मवर्त पुराण के अनुसार जब परशुराम राम कैलाश पर्वत पर शिव भगवान से मिलने गए तो वह ध्यान में थे तो भगवान गणेश जी जी ने उन्हें रोका तो भगवान परशुराम जी ने नाराज होकर गणेश जी जी पर कुल्हाड़ी से वार किया जो शिव भगवान द्वारा ही दी गई थी जिसका बार कभी खाली नहीं जाता था इस हमले के दौरान भगवान गणेश जी का एक दांत टूट गया इसलिए गणेश जी जी को एक दंत के रूप में भी जाना जाता है
भगवान श्री Ganesh ji बुद्धि और कौशल के देवता है उनकी आराधना कर अर्थ विद्या बुद्धि, ,विवेक ,यश, प्रसिद्धि, सिद्धि सहजता से प्राप्त हो जाते हैं | हिंदुओं में खास तौर पर श्री गणेश जी प्रथम पूज्य देवता है, परंतु इस हकीकत से परे एक और सत्य है ,श्री गणेश जी सिर्फ हिंदुओं द्वारा और भारत में ही नहीं पूजे जाते बल्कि विश्व में कई जगहों पर श्री गणेश जी प्रमुख आराध्य देव है |
गणपति जी की आराधना को लेकर कुछ ऐसे तथ्य है | जिनसे आप अभी तक अनजान रहे इन्हें जानने के बाद आप दुगनी श्रद्धा और भक्ति के साथ गणपति जी की आराधना में जुट जाएंगे जानिए क्या है |
विश्व के अन्य स्थानों पर श्री गणेश जी जी की पूजन एवं परंपरा और उनके विषय में प्रचलित मान्यता एवं रोचक तथ्यों के आधार पर भगवान Ganesh ji जी को जापान में भी बहुत महत्व दिया गया है|
जापान का सबसे बड़ा मंदिर माउंट एकोमा पर होजैन जी नाम से है यह दक्षिणी हिस्से में ओसाका शहर के बाहर बसा हुआ है | जापान में श्री गणेश जी जी को कंजीतेंन के नाम से जाना जाता है | गणेश जी जी को सौभाग्य और खुशियां लाने वाला देवता माना जाता है |खासकर यहा के व्यापारी इन्हें ज्यादा पूजते है |
जापान में श्री Ganesh ji जी के 250 मंदिर बनाए गए हैं ऑक्सफोर्ड में छपे पेपर के अनुसार श्री गणेश जी प्राचीन सेंट्रल एशिया और विश्व की अन्य जगहों पर पूजे जाते हैं | गणेश जी जी की मूर्तियां अफगानिस्तान ईरान , म्यांमार ,श्रीलंका ,नेपाल थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, चाइना, मंगोलिया ,जापान इंडोनेशिया, ब्रूनेई, बुलगारिया, मेक्सिको और अन्य लैटिन अमेरिकी देशों में मिल चुकी है |
जापान के शहर टोक्यो में एक मंदिर में गणेश जी से मिली जुली एक मूर्ति भी है | जापान में ८वि सदी में गणेश जी को माना जाने लगा था | और यह कोई और नही बोध धर्म के लोग हे थे , जो मंत्र व मूर्तियों में विस्वास रखते थे |
कंजितन क साथ साथ गणेश जी को शोतेंन , गन्बाची,बिनायकातेंन के नाम से भी पुकारा जाता है |तांत्रिक बुदिस्म में गणेश जी को एक स्त्री हाथी से लिपटा हुआ दिखाया गया है , जो की एक शक्ति का प्रतिक है |
|| जय श्री गणेश ||
कृपया अपना प्यार और आशीर्वाद जरुर बनाए रखे | और अगर आप चाहते है , हम आपके लिए कुछ और तथ्य लेकर आए तो Comment करके जरुर बताए | धन्यवाद