क्रोध करना मानव स्वभाव है। चाणक्य नीति के अनुसार कभी भी कुछ लोगों पर गुस्सा नहीं करना चाहिए नहीं तो भविष्य में आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

चाणक्य नीति
गुस्सा करना हर किसी के स्वभाव में होता है। लेकिन कई बार न चाहते हुए भी हमें गुस्सा आ जाता है। गलत समय और गलत जगह पर आया गुस्सा सारे काम बिगाड़ सकता है। क्रोधी व्यक्ति किसी को भी बुरा-भला कहने में संकोच नहीं करता। लेकिन जब गुस्सा शांत हो जाता है तो हम अपने किए पर पछताते हैं। ऐसे में आचार्य चाणक्य की नीतियां सर्वोत्तम मार्गदर्शन सिद्ध हो सकती हैं। चाणक्य नीति के अनुसार कभी भी कुछ लोगों से झगड़ा न करें, नहीं तो भविष्य में आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
आइए जानते हैं किन लोगों से झगड़ा नहीं करना चाहिए
परिवार वालों से लड़ाई-झगड़ा न करें: चाणक्य नीति के अनुसार हमें अपने परिवार वालों पर गुस्सा नहीं करना चाहिए। परिवार ही है जो हमें अच्छे-बुरे का बोध कराता है। ऐसे में घरवालों से झगड़ा करना अपने शुभचिंतकों को खोने के बराबर है। इससे न केवल आपको बाद में पछतावा हो सकता है, बल्कि परिवार के सदस्य जो आपको भविष्य में सही रास्ता दिखाते हैं, वे भी दूर हो सकते हैं।
मूर्ख से बहस न करें: आचार्य चाणक्य के अनुसार मूर्ख लोगों से कभी भी बहस नहीं करनी चाहिए। उनसे बहस करना समय की बर्बादी है। उनके साथ लड़ना भैंस के सामने बीन खेलने जैसा है। ऐसे लोग हमेशा अपनी बात मनवाने के लिए बिना सिर-पैर के तर्क देने लगते हैं। उन पर गुस्सा करने से मूड खराब हो जाता है।
दोस्तों पर गुस्सा न करें: दोस्ती का रिश्ता जिंदगी में बहुत खास होता है। हंसी-मजाक से लेकर राज़ साझा करने तक, दोस्ती हर कदम पर आपका साथ देती है। दोस्तों से नाराज़ होकर हम उन्हें हमेशा के लिए खो सकते हैं। इसी के साथ एक भरोसेमंद रिश्ता भी खत्म हो जाता है।
टीचर से झगड़ा न करें: शिक्षक की भूमिका हर किसी के जीवन में महत्वपूर्ण होती है। एक अच्छा शिक्षक जीवन में आपका मार्गदर्शक साबित हो सकता है। हालांकि कुछ लोग अक्सर गुस्से में गुरु को बुरा-भला कहने से भी नहीं हिचकिचाते। ऐसा करने से आप न केवल गुरु से बल्कि ज्ञान से भी दूरी बना लेते हैं।
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