आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में बताया है कि लोगों को शिक्षा देने से असफलता भी चली जाती है। चाणक्य ने असफलता से वो तीन चीजें सीखने को कहा है, जो आपको सफलता की ओर ले जाएंगी।

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आचार्य चाणक्य अपनी बुद्धिमत्ता के लिए जाने जाते हैं। उनकी नीतियां आज भी लोगों का मार्गदर्शन करती नजर आती हैं। चाणक्य का मानना है कि जहां सफलता में खुशी होती है, वहीं असफलता में सीख होती है। असफलता ही सफलता है पहला कदम है। आचार्य चाणक्य के अनुसार सफल होने का कोई फॉर्मूला नहीं है। यह व्यक्ति की अपने लक्ष्य के प्रति तैयारी, कड़ी मेहनत और असफलता से सीखने का परिणाम है। चाणक्य ने असफलता से उन तीन बातों को सीखने को कहा है, जो आपको सफलता की ओर ले जाएंगी।
ये बातें असफलता से सीखी जा सकती हैं
- चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति असफलता के डर से अपने फैसले बदल लेता है वह कभी सफल नहीं हो सकता। उनका मानना है कि उनके प्रयास जारी रहने चाहिए।
- यह कटु सत्य है कि सफलता का मार्ग निराशा और असफलताओं से होकर ही गुजरता है। यदि किसी कार्य में असफलता हाथ लगे तो निराश न हों और प्रयास करते रहें।
- चाणक्य नीति में लिखा है कि सफलता मिलने तक व्यक्ति को रुकना नहीं चाहिए, क्योंकि असफलता का मुख्य कारण कहीं न कहीं मेहनत की कमी होती है।
- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आलोचना मन में नकारात्मक भाव लाती है। चाणक्य ने बताया है कि एक कान से आलोचना सुनना और दूसरे कान से निकाल देना बेहतर है।
- चाणक्य कहते हैं कि सफल होने के बाद कल तक जो लोग आपकी आलोचना करते थे, उनकी परवाह किए बिना अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें।
- चाणक्य नीति कहती है कि जब मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिलती है तो उस पर रोने के बजाय आत्मनिरीक्षण करें कि कमी कहां रह गई।
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