Bhagwan Vishnu Beej Mantra

भगवान विष्णु त्रिमूर्ति में से एक है जो समस्त सृष्टि के पालन करता है । वैदिक समय से ही भगवान विष्णु को संपूर्ण विश्व की सर्वोच्च शक्ति माना गया है। अगर हम विष्णु पुराण की बात करें तो इसके अनुसार भगवान विष्णु निराकार परब्रह्मा है जिनको वेदों में स्वयं भगवान कहा जाता है । और यह भी हम बहुत अच्छे से जानते हैं कि सभी पुराणों में भागवत पुराण को सबसे अधिक माना जाता है । भगवान विष्णु का सर्वाधिक वर्णन भागवत एवं विष्णु पुराण में है । ब्रहमा विष्णु और महेश इन त्रिमूर्ति में भगवान विष्णु को जगत का पालनहार कहा गया है ।


विष्णु भगवान का जाप कैसे करना चाइये ?(How to do Bhagwan Vishnu Jaap)


भगवान विष्णु जी का वीरवार का दिन होता है प्राचीन भारतीय हैं पुराणों में वैशाख महीने में विष्णु जी के पूजन और उनके मंत्र से आने वाली जीवन में कोई भी समस्या हो शीघ्र ही समाप्त हो जाती है और साथ ही क्षमा याचना करने से अनजाने में किए गए पाप भी खत्म हो जाते हैं । हमारे पुराने शास्त्रों में भगवान विष्णु जी को पीले रंग की अधिक महत्वता दी गई है इसीलिए भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पीले पुष्प एवं पीले रंग की मिठाईयां व पीले रंग के वस्त्र चढ़ाने से विष्णु भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं विष्णु भगवान की पूजा के लिए विष्णु भगवान को पवित्र गंगाजल से स्नान करवाकर गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए इसके साथ चंदन का तिलक व प्रसाद उस्तादी अर्पित करें । ऐसी भी मान्यता है कि भगवान विष्णु का मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय का 108 बार जाप करना चाहिए इस मंत्र का जाप हमेशा तुलसी की माला से किया जाना चाहिए मंत्र के जाप के बाद आरती की जाती है वह भगवान से प्रणाम किया जाता है।


विष्णु भगवान का जाप करने से क्या होता है?(Benefits of Bhagwan Vishnu Jaap)


 जैसा कि हम सब जानते हैं और अनेक शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा विष्णु महेश में भगवान विष्णु को ही पूरे जगत का पालन करने वाले देवता माना गया है । इसलिए भगवान विष्णु ही वह देव है जो हमारा पालन करते हैं वह इनके पूजा पाठ से हमें किसी भी प्रकार का दुख दर्द एवं धन की समस्या या किसी भी प्रकार का दुख देखने को नहीं मिलता है। ओम नमो भगवते वासुदेवाय यही वह द्वादश मंत्र है जिसका जब अगर हम 1200000 बार किया जाए तो समस्त सुख सुविधाओं के साथ शांति मुक्ति प्राप्त हो सकती है।


विष्णु जी का बीज मंत्र कौन सा है(Bhagwan Vishnu Beej Mantra)


भगवान विष्णु का बीज मंत्र जो कि सिद्ध करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है इस मंत्र का उपयोग कुंडली के हिसाब से अगर हमारी कुंडली में बृहस्पति कमजोर है तो हम इस मंत्र का उपयोग बृहस्पति देव को शांत करने के लिए करते हैं ,वह मंत्र है


बृं बृहस्पतए नमः (Bhagwan Vishnu Beej Mantra)


इस मंत्र का पाठ हमें एक माला सुबह सुबह अवश्य करनी चाहिए । 19000 बार इस मंत्र का जब करने के बाद यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। विधि विधान से इस मंत्र का उपयोग होने से कुंडली में इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।


विष्णु जी की चालीसा( Vishnu Chalisa in Hindi)

।। दोहा ।।

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

।।चौपाई।।

नमो विष्णु भगवान खरारी,कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥1॥

 

सुन्दर रूप मनोहर सूरत,सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

तन पर पीताम्बर अति सोहत,बैजन्ती माला मन मोहत ॥2॥

 

शंख चक्र कर गदा बिराजे,देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥3॥

 

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन,दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥4॥

 

पाप काट भव सिन्धु उतारण,कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।

करत अनेक रूप प्रभु धारण,केवल आप भक्ति के कारण ॥5॥

 

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा,तब तुम रूप राम का धारा ।

भार उतार असुर दल मारा,रावण आदिक को संहारा ॥6॥

 

आप वाराह रूप बनाया,हरण्याक्ष को मार गिराया ।

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया,चौदह रतनन को निकलाया ॥7॥

 

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया,रूप मोहनी आप दिखाया ।

देवन को अमृत पान कराया,असुरन को छवि से बहलाया ॥8॥

 

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया,मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,भस्मासुर को रूप दिखाया ॥9॥

 

वेदन को जब असुर डुबाया,कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।

मोहित बनकर खलहि नचाया,उसही कर से भस्म कराया ॥10॥

 

असुर जलन्धर अति बलदाई,शंकर से उन कीन्ह लडाई ।

हार पार शिव सकल बनाई,कीन सती से छल खल जाई ॥11॥

 

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी,बतलाई सब विपत कहानी ।

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥12॥

 

देखत तीन दनुज शैतानी,वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,हना असुर उर शिव शैतानी ॥13॥

 

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे,हिरणाकुश आदिक खल मारे ।

गणिका और अजामिल तारे,बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥14॥

 

हरहु सकल संताप हमारे,कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।

देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥15॥

 

चहत आपका सेवक दर्शन,करहु दया अपनी मधुसूदन ।

जानूं नहीं योग्य जब पूजन,होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥16॥

 

शीलदया सन्तोष सुलक्षण,विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।

करहुं आपका किस विधि पूजन,कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥17॥

 

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण,कौन भांति मैं करहु समर्पण ।

सुर मुनि करत सदा सेवकाईहर्षित रहत परम गति पाई ॥18॥

 

दीन दुखिन पर सदा सहाई,निज जन जान लेव अपनाई ।

पाप दोष संताप नशाओ,भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥19॥

 

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ,निज चरनन का दास बनाओ ।

निगम सदा ये विनय सुनावै,पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥20॥


भगवान विष्णु आरती(Bhagwan Vishnu Aarti in hindi) 

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

 

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

 

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

 

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

 

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

 

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

 

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

 

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

 

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

 

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥ भगवान विष्णु की कृपा आप पर एव आपके परिवार पर हमेशा बनी रहे | ॐ नमो भगवते वासुदेवाये || जय श्री हरी , अपने विचार जरुर रखिएगा और अगर आप हमसे कुछ जानकारी साझा करने चाहते है तो हमें जरुर बताए | ॐ नमो नारायण || ——बैकुंठ धाम कहा पर है ?—–


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