जया एकादशी व्रत का दिन, शुभ मुहूर्त और विधि जानने के लिए कृपया इस लेख को पढ़ें, जो जगत के पालनहार माने जाने वाले भगवान श्री विष्णु की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं।

जया एकादशी व्रत की विधि और नियम
जया एकादशी 2023: हिंदू धर्म में माघ महीने के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली जया एकादशी का व्रत बेहद शुभ माना जाता है। जया एकादशी पर भगवान श्री विष्णु के विशेष रूप उपेंद्र की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि श्रीहरि के इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है। यह भी माना जाता है कि जया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के इस जन्म के ही नहीं बल्कि पिछले जन्मों के भी पाप दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं जया एकादशी व्रत की विधि, शुभ मुहूर्त और महत्वपूर्ण नियम आदि के बारे में, जो जीवन से जुड़े सभी दुखों को दूर कर सुख-समृद्धि प्रदान करता है।
जया एकादशी व्रत की तिथि: 01 फरवरी 2023
आज की बड़ी खबर
एकादशी तिथि प्रारंभ: 31 जनवरी, 2023 को सुबह 11:53 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 01 फरवरी 2023 दोपहर 02:01 बजे
एकादशी व्रत के पूर्ण होने की तिथि: 02 फरवरी 2023
एकादशी व्रत का समय: सुबह 07:09 से 09:19
जया एकादशी पर कैसे करें पूजा
जया एकादशी के दिन साधक को तन-मन से शुद्ध होकर भगवान श्री विष्णु की मूर्ति या फोटो को एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर रखना चाहिए। इसके बाद हाथ में गंगाजल लेकर अनुशासन और संयम से भगवान श्री विष्णु के व्रत का संकल्प करना चाहिए। इसके बाद पीले फूल, पीले फल, पीली मिठाई, तुलसी, चंदन, धूप, दीप, सुपारी, सुपारी आदि अर्पित कर भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके बाद एकादशी व्रत की कथा पढ़ें और इसके बाद श्री नारायण कवच का पाठ करें। श्री विष्णु सहस्त्रनाम आदि जया एकादशी व्रत के दूसरे दिन स्नान-ध्यान करने के बाद किसी शुभ मुहूर्त में इस व्रत को करें।
जया एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व
ऐसी भी मान्यता है कि माघ मास के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली जया एकादशी का व्रत श्रद्धा और विश्वास से करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद प्रेत योनि में नहीं जाना पड़ता और न ही कोई भूत उसे कभी परेशान करता है। जो व्यक्ति जया एकादशी का व्रत रखता है उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि जया एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति जीवन के सभी सुखों को भोगता है और अंत में मोक्ष प्राप्त करता है।
(यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और लोक मान्यताओं पर आधारित है, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसे आम जनहित को ध्यान में रखते हुए यहां प्रस्तुत किया गया है।)