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हिंदू धर्म में सिर पर चोटी रखने का नियम है।
सिर पर चोटी रखने के कई फायदे होते हैं।
भारत सहित दुनिया में अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं। सभी धर्मों के अपने अनुष्ठान और नियम कायदे होते हैं। हिंदू धर्म में भी ऐसे ही कई अनुष्ठान व नियम हैं, सच्चे अनुयायी करते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में पुरुष-स्त्री व जाति के होश से भी अलग-अलग नियम व री ति रिहर्सन का उल्लेख मिलता है। हिंदू धर्म में महिलाओं के अलावा कुछ पुरुष भी सिर पर चोटी रखते हैं। हिंदू धर्म में चोटी रखने का बहुत महत्व है। तो जानिए सिर पर चोटी रखने के पीछे क्या कारण है।
चोटी का महत्व
पंडित इंद्रमणि घनस्यालीय कथन हैं कि प्राचीन काल से ही ऋषि, पंडित, पंडित, ब्राह्मण आदि आपके सिर पर चोटी रखते आए हैं। शास्त्रों के अनुसार जब बालक को दीक्षा दी जाती थी, उस समय उसका मुंडन करके केवल एक चोटी ही शेष छोड़ी जाती थी। जिस स्थान पर चोटी रखी जाती है, उस स्थान को सहस्त्रार चक्र कहते हैं। मान्यता है कि इस चक्र के नीचे आत्मा वास करती है।
चोटी रखने के फायदे
सुश्रुत संहिता में शीर्ष पर रहने के कई फायदे बताए गए हैं। साथ ही चोटी रखने के वैज्ञानिक कारण भी बताए गए हैं। सहस्त्रार चक्र की चोटी बनाई जाती है, जिसके ठीक नीचे आत्मा का वास होता है। सिर के बीचों-बीच चोटी रखने से मन और मस्तिष्क पर नियंत्रण रहता है। कहते हैं कि हमारे शरीर में उपस्थित सात चक्र जाग्रत होते हैं। जिससे हमारा शरीर में संतुलन बना रहता है। जहां शिखर की जगह होती है, वहां सुषुम्ना नाड़ी होती है, जो शरीर को सकारात्मक उर्जा प्रदान करता है। पूरे शरीर के विकास को सुषुम्ना नाड़ी से संबंधित माना जाता है।
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चोटी रखने का नियम
शास्त्रों के अनुसार चोटी रखने के भी नियम हैं। चोटी रखते समय सिर से सारे बाल काटे जाने चाहिए, केवल सिर के बीचों बीच ही चोटी रखनी चाहिए। धार्मिक शास्त्रों में चोटी का आकार गाय के खुर के समान बताया गया है अर्थात चोटी का आकार गाय के खुर जितना अधिक होना चाहिए। साथ में दान धर्म, पूजा, आदि भोजन करते समय चोटी को किंकी बांधकर रखनी चाहिए। इसके अलावा नित्य क्रिया करते समय चोटी को बंधन मुक्त रखना चाहिए।
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प्रथम प्रकाशित : 23 दिसंबर, 2022, 02:35 IST