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गलत दिशा में घर का मुख्य द्वार होने से परिवार की सुख-शांति छिन सकती है।
वास्तु शास्त्र में दिशाओं के आधार पर घर के चार मुख्य द्वार बताए गए हैं।
हर घर का एक मुख्य द्वार यानी मेन गेट जरूर होता है। हर कोई घर बनवाते वक्त इस द्वार को सोच समझ ही बनवाते हैं। कई बार यह द्वार लोगों के लिए सौभाग्यशाली साबित होता है। कई बार यह द्वार भी परिवार की सुख-शांति छिनने का कारण बन सकता है, जिसके कारण गेट का गलत दिशा में होना हो सकता है। आज हम आपको वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार की शुभ व अशुभ दिशाओं के बारे में बता रहे हैं। जिनके आधार पर मुख्य द्वार के चार नाम भी रखे गए हैं।
मुख्य द्वार की दिशा और नाम
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार दिशा के हिसाब से वास्तु शास्त्र में चार द्वार मुख्य बताए गए हैं। ये द्वार विजय द्वार, यम द्वार, मकर द्वार व कुबेर कह द्वारलाते हैं। इनमें से विजय व कुबेर द्वार शुभ जबकि यम व मकर परिवार के लिए अशुभ माने गए हैं। दिशा के होश से ये द्वार इस प्रकार हैं:-
- विजय द्वार: विजय द्वार वह द्वार है जिसका मुंह पूर्व दिशा में होता है। पूर्व दिशा का द्वार हर काम में सफलता पाने वाला और परिवार में सुख व शांति देने वाला माना जाता है।
- यम द्वार: जिस घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में होता है, उसे यम द्वार कहते हैं। इसकी वजह से यमपुरी का दक्षिण दिशा में होना है। ऐसे में दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला द्वार यम द्वार है। ये द्वार घर में संघर्ष व शोक का कारण माना जाता है। घरेलू रसायनों के लिए इसे विशेष नुकसानदेह कहा गया है।
- मकर द्वार: पश्चिम का द्वार मकर द्वार है। वास्तु शास्त्र के अनुसार मकर अलस्य बढ़ाने वाला माना जाता है। इस परिवार के सदस्यों को काफी मेहनत करने पर सफलता मिलती है।
- कुबेर द्वार: वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा की ओर मुंह किया हुआ द्वार कुबेर द्वार है। इसे धन के साथ सुख-समृद्धि प्राप्त करने वाला द्वार कहा गया है।
ये मुख्य द्वार भी होते हैं शुभ
पंडित जोशी के अनुसार ग्रंथ शास्त्र सहित विभिन्न पुराणों में बिल्कुल सीधा, घर के अन्य द्वारों से बड़ा, चौड़ाई से दुगुनी ऊंचाई वाला, अंदर के द्वार की सीध वाला, मकान की चौड़ाई के आठ हिस्सों के बीच के दो हिस्सों में स्थित होने वाला मुख्य द्वार शुभ माना जाता है। इसके अलावा, द्वार की दिशा में चौड़ाई को बराबर नौ जोड़ों में बांटकर बायें से चौथे भाग का द्वार भी श्रेष्ठ माना जाता है। मुहूर्तमार्तण्ड के अनुसार घर की चौड़ाई के नौ भाग कर पूर्व में घर की बाईं और से तीसरी, दक्षिण दिशा में छठी तथा पश्चिम की ओर उत्तर दिशा में पांचवे भाग में मुख्य द्वार बनाना भी शुभ माना जाता है।
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प्रथम प्रकाशित : 16 दिसंबर, 2022, 01:20 IST