क्या सच में प्रेत आत्माएं होती हैं जो सिर्फ रात में होती हैं?  यह रहस्य है

क्या सच में प्रेत आत्माएं होती हैं जो सिर्फ रात में होती हैं? यह रहस्य है

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प्रेत आत्मा से जुड़े कई किस्से सुनने को मिलते हैं।
गरुड़ पुराण में प्रेत आत्मा का उल्लेख किया गया है।

गरुड़ पुराण: जब भी प्रेत आत्मा की बात होती है, तब लोगों की अलग-अलग बातें सामने आती हैं। कुछ लोग प्रेत आत्मा पर यकीन करते हैं तो कुछ उन्हें केवल मन का वह मानने वाले हैं। वैज्ञानिक भी इन सभी बातों पर यकीन नहीं करते, लेकिन आज भी कई लोग प्रेत आत्मा के होने का दावा करते हैं। प्रेत आत्मा से जुड़ी कई कहानियां सुनने को मिलती हैं। प्रेत आत्मा को लेकर कहा जाता है कि ये सिर्फ रात में ही मिलते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में प्रेत आत्माएं होती हैं? आइए जानते हैं पंडित इंद्रमणि घनश्याल से गरुड़ पुराण में इस विषय में क्या कहा गया है।

वर्तमान मनोविज्ञान का अस्तित्व
श्रीमद्भागवत पुराण में भी थोकस्तंभ के प्रस्तुत होने का विस्तृत विवरण मिलता है। पुराने युगों में भी प्रेत आत्मा के अस्तित्व का वर्णन मिलता है। जैसे कि युधिष्ठिर को एक यक्ष ने प्रश्न पूछा था जो एक प्रेत आत्मा थी। इसी तरह तुलसीदास जी को भी एक भूत ने ही हनुमान जी का पता बताया था। गरुड़ पुराण में प्रेत आत्मा का उल्लेख मिलता है। गुरु पुराण के अनुसार प्रेत आत्मा की अपनी संभावनाएं होती हैं। इन सूक्ष्म को यम, शाकिनी, डाकिनी, चुड़ैल, भूत, प्रेत व राक्षस कहा जाता है। शास्त्रों में 84 लाख योनियों का उल्लेख मिलता है, जिसमें शरीर त्यागने के बाद जीवात्माएं भूत प्रेत योनि में चला जाता है। हालांकि, सभी आत्माएं प्रेत नहीं बनती हैं। पितृदोष से बचने के लिए हम पितृ पक्ष में महत्वाकांक्षी का श्राद्ध करके उन्हें तृप्त करते हैं।

रात के समय प्रेत आत्माएं क्यों दिखाई देती हैं?
कुछ लोग दावा करते हैं कि उन्हें रात के समय प्रेत आत्माएं दिखाई देती हैं। अब ऐसे सवाल उठते हैं कि रात के समय ही असली आत्माएं क्यों दिखाई देने लगती हैं। ग्रंथ शास्त्रों के अनुसार रात्रि के समय प्रेतों की शक्तियां बढ़ाई जाती हैं। कृष्ण पक्ष में और अमावस्या की रात उनकी शक्तियाँ होती हैं और उनका आधिपत्य होता है। अंधेरे के समय में राक्षसी शक्तियां जागृत रहती हैं, जिसके कारण कोई भी व्यक्ति आसानी से उस पर हावी हो सकता है। रात्रि के समय मंदिरों में पूजा-आराधना और धार्मिक अनुष्ठान नहीं होते, जिसके कारण दैवीय शक्तियां कमजोर रहती हैं और प्रेतात्माओं का वास अधिक रहता है।

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